गांव में स्कूल पांचवीं कक्षा तक ही होने के कारण दिनेश के भाई - बहन पहले ही उच्च माध्यमिक स्कूल में पढ़ाई करने जाते थे तो दिनेश को अब 10 किलोमीटर दूर आगे की पढ़ाई करने जाना था , फिर भी उसे नई जगह जाने में कोई डर नहीं था अगर उसे कोई कोई कठिनाई आती तो वहां मौजूद भाई बहन से बता सकता था। दिनेश पढ़ने में होशियार था तो उसे नए स्कूल में भी सभी लोग जानने लग गए थे , अब उसे कक्षा का मॉनिटर बनाया गया था। अभी नए स्कूल में उसे 3 महीने ही हुए थे की नवोदय की परीक्षा का परिणाम आ गया और दिनेश के लिए खुशखबरी आ गए कि दिनेश उत्तीर्ण हो गया है अब दिनेश को नवोदय स्कूल में जाने की तयारी करनी थी। जवाहर नवोदय विद्यालय भारत सरकार के मनाव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जाने वाली पूरी तरह से आवासीय तथा सह शिक्षा , केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड , नई दिल्ली से सम्बन्ध शिक्षण परियोजना है। राष्ट्रीय शिक्षा निति 1986 के अनुसार भारत सरकार ने जवाहर नवोदय विद्यालय प्रारंभ किये थे। सर्वप्रथम ऐसे विद्यालय प्रयोग हेतु खोले गए। दिनेश तो परीक्षा के बाद इसके बारे में भूल गया था और उसे तो उम्मीद भी नहीं थी पर अब परिणाम
अभी तक दिनेश परीक्षा स्थान तक पहुँच गया था, सभी परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र व् उतर पुस्तिका दी जा चुकी थी, एक पांचवी कक्षा वाले बालक के लिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने का यह पहला अनुभव था, इस कारण से दिनेश अभी तक परीक्षा सम्बंधित नियम से भी ज्ञात नहीं थे खासकर परीक्षा में दिए गए समय के लिए। नवोदय की परीक्षा में कुल 100 प्रश्न बहुवैकल्पिक होते है और समय 2 घंटे 30 मिनट दिए जाते है। 100 प्रश्नो में से 60 प्रश्न तार्किक विचार (Logical Reasoning) , 20 हिंदी/ इंग्लिश (परीक्षा का माध्यम ) तथा 20 प्रश्न सरल गणित से दिए जाते है। दिनेश ने लगभग 10 - 15 दिन तक तैयारी की थी तो उसे परीक्षा के बारे में कुछ समझ थी और रीजनिंग में अच्छे से सभी तरह के प्रश्न सीखे हुए थे। जैसे ही परीक्षा शुरू करने के लिए घंटी बजी सभी बच्चे अपनी - अपनी पुस्तिका में खो गए इसी क्रम में दिनेश को पता ही नए चला की कब उसे उतर लिखते हुए 45 मिनट हो चुके है और उसके कब पहले 60 रीजनिंग के प्रश्नों के उतर लिख चूका है ,दिनेश के पास उस समय घड़ी नहीं थी तो उसने टाइम पास में बैठे एक साथी से पूछा तो उसे उतर मिला कि एक घ